Sarva dharma sahishnuta | Mahasattvashali – 227
भारत में सर्व धर्म समान की बात नहीं थीं..!! यहाँ पर सर्व धर्म सहिष्णुता की
भारत में सर्व धर्म समान की बात नहीं थीं..!! यहाँ पर सर्व धर्म सहिष्णुता की
भारतवर्ष की उज्ज्वल परंपरा में अनेक धर्म एक राज्य में और… एक धर्म अनेक राज्यों
धर्म का मजबूती से प्रचार करना हो, विश्व में धर्म की असरकारता से स्थापना करनी
राजा तो सीर्फ अपनी प्रजा की भौतिक उन्नति और बाह्य #Security के लिए प्रयत्नशील होता
#Vatican आज भी Absolute Sovereignty enjoy कर रहा है…!! #UN में Pope ने कहा था
मान लो कि दुकान आपकी, माल आपका, धंधा करने की महेनत भी आपकी… और जो
पापबंध उन्हें होता है जो अशुभ भाव से अनुचित वर्तन करते हैं..!! जो शुभ भाव
परापूर्व से शिखरजी, शत्रुंजय आदि महातीर्थ श्वेतांबर जैन संघ की मालिकी के थे..!! इन तीर्थों
धर्मसत्ता राज्यसत्ता से #Superior है..!! इसलिए हमारे यहाँ राजा-महाराजा भी धर्मगुरु के चरणस्पर्श करते, उनकी
जैनधर्म के पास ढेर सारी संपत्ति है, यह बात बिल्कुल गलत है..!! वास्तविक्ता तो यह