Dharmasatta ka niyantran..?? | #Mahasattvashali – 224

राजा तो सीर्फ अपनी प्रजा की भौतिक उन्नति और बाह्य #Security के लिए प्रयत्नशील होता है…

लेकिन धर्मगुरु तो समग्र जीवसृष्टि की आत्मसुरक्षा तथा परिपूर्ण कल्याण के लिए उद्यमशील होते हैं..!!

क्योंकि धर्म के #Objectives राज्य की तुलना में ज्यादा विशाल और व्यापक हैं…

इसलिए धर्मसत्ता पर राज्यसत्ता का नियंत्रण हमारी आर्य परंपरा में कभी नहीं था..!!

– प. पू. गच्छाधिपति आचार्य श्रीमद्विजय
युगभूषणसूरिजी महाराजा ।
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