Dharma niji pasandagi ka vishay | Mahasattvashali – 226

भारतवर्ष की उज्ज्वल परंपरा में अनेक धर्म एक राज्य में और…

एक धर्म अनेक राज्यों में देखने मिलते थे..!!

क्योंकि धर्म निजी पसंदगी का विषय है…

इसलिए राज्य उसमें कभी भी Interfere नहीं करता था..!!

राज्य का खुद का कोई Official धर्म नहीं होता था..!!

इस तरह धर्मसत्ता और राज्यसत्ता Independent और अलग सत्ताएँ थीं..!!

– प. पू. गच्छाधिपति आचार्य श्रीमद्विजय
युगभूषणसूरिजी महाराजा ।
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