Tirthankar Kaun Hain? | Mahasattvashali – 248
वैसे तो हरेक धर्म में ‘तीर्थ’ शब्द का प्रयोग देखने मिलता है… लेकिन एक research
वैसे तो हरेक धर्म में ‘तीर्थ’ शब्द का प्रयोग देखने मिलता है… लेकिन एक research
अधर्म के क्षेत्र में किया गया पाप जितना भयंकर है… उसके मुकाबले में धर्म के
श्रीमंत सत्ताधीशों का आपके दिल पर जितना प्रभाव है, उतना सद्गुरुओं का नहीं… संपत्ति, इन्द्रियों
यदि इस भव में आंतरिक विकास करना हो… और परभव में भी फिर से शासन
इस मनुष्य भव में हमें जो विचार शक्ति प्राप्त हुई है, उसका उपयोग करके आत्मा
तीर्थंकरों ने विश्व को जो जिनशासन की भेंट दी है… वो बडी ही अनुपम, अपूर्व
जिनशासन की गुणवत्ता को जितना अधिक समझेंगे, उतना ही शासन के प्रति प्रेम बढ़ेगा… जिस
इस अवसर्पिणी के चौबीस में से बीस-बीस तीर्थंकरों की निर्वाण कल्याणक भूमि होने का सौभाग्य
यह शिखरजी महातीर्थ कोई सामान्य जंगल या पहाड़ नहीं, बल्कि पवित्र भूमिकणों से बना परम
तीर्थंकरों के पांचों कल्याणक कल्याणकारी हैं…!! लेकिन सबसे अधिक विशुद्धि और आत्मा की निर्मलता… “निर्वाण