Ep 19 – Purvajo Ka Kehna Hai

क्या आप जानते हैं? पेढ़ी के प्रतिनिधित्व के बारे में अपने पूर्वज क्या कहते थें?

19 – पूर्वजों का कहना है…

(गुजराती श्रृंखला में से भावनुवादित)

” वास्तव में अधिकार किसका?

“हिंदुस्तान के संपूर्ण श्वेतांबर मूर्तिपूजक जैन जाती के प्रतिनिधि” के तौर पर शेठ आनंदजी कल्याणजी की पेढ़ी अपने छपाए हुए कागजों द्वारा अपने आप को जताती है । और दूसरी तरफ समस्त जैन जाति के प्रतिनिधि के रूप में जैन श्वेतांबर कॉन्फ्रेंस नाम की संस्था अपने आप को भी जताती है। इस तरह दोनों संस्थाएं अपने पत्र आदि व्यवहार के लेखन में और बात बात में (बोलने में और प्रचार करने में) भी इन शब्दों का बार-बार पुनरावर्तन करती रहती है।

आकाशकुसुम,वन्ध्यापुत्र और शशशृंग इन संयुक्त शब्दों का वाच्य-पदार्थ विश्व मे कहीं नहीं है, उसी तरह “जैन जाति के प्रतिनिधि ” इन संयुक्त शब्दों का भी वाच्यार्थ कहीं नहीं है; मतलब यह है कि यह शब्द समूह ही गलत अर्थ में प्रयोग हुआ है और अब भी प्रयोग हो रहे है…..”

  • सागरानंदसूरिजी समुदाय के वडील शासनप्रभावक प. पू.आ.भ. श्री चंद्रसागरसूरिजी म. सा.
    ( श्री सिद्धचक्र मासिक वि.सं.2013, पोष-महा मास पृ.1)

पूज्य आचार्य भगवंत ऐसे फरमाते हैं कि, दोनों संस्थाएं अलग अलग तरीके से जैन जाति के प्रतिनिधि होने का दावा कर रही है। परंतु उनका यह दावा पूर्णत: आधारविहीन है।

हमारे पूर्वजों द्वारा अनेक अवसरों पे पेढ़ी की भूलों का जाहिर में विरोध किये जाने के बावजूद भी यदि पंडित महाराज पेढ़ी की जाहिर भूलों को जाहिर में रखे तो वे शासनके बड़े गुनहगार हो जाए!

कैसा आश्चर्यकारी न्याय!!!

Our ancestors have time and again reprimanded Seth Shri Anandji Kalyanji Pedhi for its innumerable mistakes and wrongdoings committed against the interest of Jin Shaasan.

‘Purvajo Kahe Che’, is a series that reveals these documented facts and historical insights for the benefit and awareness of Shri Chaturvidh Sangh.