प्रश्न – 17. पंडित महाराज साहब खुद को Sovereign कहलवाते हैं, तो क्या वे अपने आप को शासन के सर्वोपरि मानते हैं ?
उत्तर – मेरे ज्ञापनों में लिखे गए ‘गच्छाधिपति’ शब्द के कौंस में Spiritual Sovereign शब्द लिखा गया है। उसका मतलब होता है गच्छाधिपति याने आध्यात्मिक सार्वभौम । क्योंकि फिलहाल कुल, गण या संघ के अधिपति भगवंत मौजूद नहीं है ।
कोई भी समझदार इतना तो समझता ही है कि किसी भी शब्द का अर्थ संदर्भ विहीन करने से अनर्थ ही होता है। उदाहरण के तौर पर पुराने ज़माने में छोटे राजा भी Sovereign कहलाते थे । वहां Sovereign का संदर्भ ‘उनके राज्य के सर्वोपरि’ मात्र इतना ही अर्थ करने की सहमति प्रदान करता है । वहां ‘पूरी दुनिया के सर्वोपरि’ ऐसा अर्थ नहीं किया जा सकता ।
उसी प्रकार गच्छाधिपति शब्द के कौंस में लिखे गए Sovereign शब्द का अर्थ ‘सर्वोपरि’ करना हो तो भी ‘समस्त शासन के सर्वोपरि’, ऐसा अर्थ कैसे कर सकते है ? उसका अर्थ ‘उस गच्छ के सर्वोपरि’ इतना ही निकलता है ।
खास याद रखें, मैं अपने आपको पूरे शासन का सर्वोपरि न तो मानता हूँ और न ही मैंने कभी ऐसा दावा किया है। फिर भी ‘पंडित महाराज स्वयं को शासन के सर्वोपरि मानते हैं’, ऐसा विरोधियों द्वारा हो रहा प्रचार उनके किस आशय को सूचित करता है यह समझना ज्यादा मुश्किल नहीं