Trusteeyo Ko Nishedh Karne Ka Adhikaar Nahi | Aakhir Kyon – Ep 4

प्रश्न: पंडित महाराजजी के मुताबिक ट्रस्टी गण उपाश्रयमें किसी महात्मा को आने से निषेध करे, तो वह कानूनन अपराधी होते है, लेकिन यह कैसे संभवित है ? क्योंकि कानून की दृष्टि से तो ट्रस्टीओ के पास सारे अधिकार होते है !

उत्तर: धर्मस्थान के ट्रस्टीयों का कायदे के अनुसार भी इतना ही अर्थ होता है कि, वह धर्मस्थान के नीति – नियमानुसार प्रबंध करने के लिए जिम्मेदार बनाये गये श्रावकगण | उस प्रबंधन के अधिकार क्षेत्रमें किसी तरहसे ऐसा नहीं आ सकता कि जिन्होंने वह धर्मस्थान जिस हेतु से बनाया हो, उस हेतु को नष्ट करके भी ट्रस्टी लोग प्रबंधन कर सके | जब धर्मस्थान तपागच्छीय श्री संघ की आराधना हेतु निर्मित किया गया है, तो फिर कोई भी तपागच्छीय संयमीओ को उतरने से ट्रस्टी कैसे मना कर सकते है ? उनके पास तो नियमानुसार प्रबंधन करने का ही अधिकार है, उद्देश्यों को बदलने का नहीं | और यदि कोई ट्रस्टी धर्मस्थान के मूल उद्देश्यों के साथ छिड़खानी करे तो ट्रस्ट के संविधान का उनके हाथो से भंग होता है, इसी लिए वैसा कार्य कानूनी रूप से अपराध हो जाता है |