पूर्वजों का कहना है – 1
(गुजराती श्रृंखला में से भावानुवादित)
क्या पेढ़ी की जाहिर भूलों को जाहिर नहीं कर सकते?
शेठश्री(आणंदजी कल्याणजी पेढ़ी के भूतपूर्व प्रमुख श्री कस्तूरभाई) के द्वारा जिनशासन के सच्चे हित की दिशा में कौनसा काम हुआ है? इसकी खोज में निकले तो एक भी न मिले – यह एक हकीकत है…
…शेठश्री के हाथों जिनशासन के हित की दृष्टि से एक के बाद एक भूलें होती रही है। बहुत गहराई में जाकर विचारने पर कहना पड़े की परमात्मा के संचालक श्री संघ ने उन पर शासन के हितों का विश्वास रखने में या आशा रखने में गंभीर भूल की है। यह बात भविष्य में स्पष्ट रूप से बहुतों को समझ आएगी।
श्री वैभारगिरी के पहाड़, श्री गिरनारजी, श्री सम्मेतशिखरजी, श्री केशरियाजी, श्री तारंगाजी के मामले में तथा अन्य तीर्थों के मामले में गहराई से उतरने वाले को, अपार खेद हो ऐसा है।
पूर्व के पुरुषों द्वारा सुरक्षित रखी हुई चीजों में से कितनी बचाई है और कितनी गवाई हैं, इसकी लिस्ट बहार नहीं आ सकती। उसके बहार आने पर श्री संघ को खेद` हुए बिना नहीं रहेगा।
… इसे व्यक्तिगत आक्षेप की तरह कोई न समझे। क्योंकि जब वे नेतृत्व कर रहे है तब उनकी समालोचना, जांच और परीक्षण करने का अधिकार किसी से खींचा नहीं जा सकता।
श्राद्धवर्य पंडित श्री प्रभुदास बेचरदास पारेख
(हित-मित-पथ्यं सत्यं ता. 11-04-1963 का प्रकाशन)
हमारे पूर्वजों द्वारा अनेक अवसरों पे पेढ़ी की भूलों का जाहिर में विरोध किये जाने के बावजूद भी यदि पंडित महाराज पेढ़ी की जाहिर भूलों को जाहिर में रखे तो वे शासनके बड़े गुनहगार हो जाए!
कैसा आश्चर्यकारी न्याय!!
Our ancestors have time and again reprimanded Seth Shri Anandji Kalyanji Pedhi for its innumerable mistakes and wrongdoings committed against the interest of Jin Shaasan.
‘Purvajo Kahe Che’, is a series that reveals these documented facts and historical insights for the benefit and awareness of Shri Chaturvidh Sangh. https://www.youtube.com/embed/4g9v0Y_W7hg