संदर्भ क्रमांक: 202303H-01
वि.सं. २०७९, फाल्गुन वद अमास
मंगलवार, २१ मार्च २०२३
ओड़, गुजरात
सकल श्री संघ जोग निवेदन
विषय: अंतरिक्षजी समाधान
हालही में १७ मार्च २०२३ का, अंतरीक्षजी तीर्थ के संबंध में जो समाधान किया गया वह २० मार्च २०२३ को संक्रामक (viral) होने से ज्ञात हुआ। यह समाधान किसी भी तरह से मान्य नहीं हो सकता क्योंकि,
१. यह अवसर सुप्रीम कोर्ट के आदेश को सरकार के सहयोग से पालन करवाने का था और कोर्ट के आदेश को शीघ्र पालन करवाने के लिए मैंने तत्रस्त महात्माओं को संदेश भी भेजा था, लेकिन इस तरह से “out of court” ऐसा कमजोर समाधान करना किसी भी तरह से योग्य नहीं है। यह समाधान एक धर्माचार्य के रूप में हम मान्य करने के लिए तैयार नहीं है। यह समाधान श्वेतांबर मूर्तिपूजक जैन संघ को बंधनकर्ता नहीं हो सकता। इसके खिलाफ प्रतिक्रिया जरूर से दी जाएगी।
२. श्रमण प्रधान चतुर्विध जैन संघ को विश्वास में लेकर यह समाधान नहीं किया गया। यह समाधान में अंतरिक्षजी पार्श्वनाथ भगवान की प्रतिमाजी की वर्तमान स्थिति को, लेप करते वक्त और भविष्य के लिए भी मंजूर की गई है। हालांकी इस समाधान में अतीत में जो कोर्ट के आदेश के अंतर्गत कंदोरा एवं कटीसूत्र के सुनिश्चित नाप का निर्देश किया था, उसे मद्देनज़र नहीं कीया गया।
३. दूसरी प्रतिमा मूलनायक के आगे भविष्य में रखी जाए ऐसा गर्भित प्रावधान दिख रहा है। भविष्य में चक्षु, टीका, आंगी आदि को रखने की कोई स्पष्टता नहीं दी गई है।
४. समजौते की पूरी प्रक्रिया (negotiation) और निर्णय संपूर्ण अनधिकृत तरीके से किया गया है।
५. सुप्रीम कोर्ट के अंतरिम आदेश (interim order) के आ जाने के बाद भी जो इन दिनों मे दिगंबर संप्रदाय ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दर्ज की है उस याचिका के निकास (withdrawal) का कोई निर्णय निश्चित नहीं किया गया।
और भी बहुत कमियां इस समाधान में अंतर्निहित है।
सकल श्री संघ को तीर्थंकरों की आज्ञानुसार जागृत होकर तीर्थरक्षा में कटिबद्ध होना अनिवार्य है।
(ग.आ.विजय युगभूषणसूरि)
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