Sha Mate Series (Hindi) Question – 4

प्रश्न 4 – बुद्धिशाली होने पर भी सभी को ये मुद्दें खयाल में आ ही जाएँ – ऐसा कैसे कह सकते हैं ? यदि विपक्ष के वकीलों को खयाल होता तो मुकदमे में उनकी चर्चा हुई ही होती ना ?

उत्तर – अदालत में विपक्ष हमारी खामियों पर ही नज़र रखे बैठा हो, हमारे प्रत्येक शब्द पर सूक्ष्मता से गौर करता हो, फिर भी सामान्य जानकार भी पहचान सके ऐसी खामियाँ विपक्ष के दिग्गज वकीलों के ध्यान में न आएँ – ऐसी बातों को कल्पना से अधिक क्या कहा जा सकता है ? जिन्हें वकीलों का अनुभव हो वे ऐसे विचारों से सहमत नहीं होंगे । दूसरी बात । उपरोक्त मुकदमे में इन मुद्दों की चर्चा हुई होती – ऐसी कल्पना करने वाले इस बात को भूल रहे हैं कि जो वाकई मूर्ख वकील हो वे ही विपक्ष की भूल होते ही तुरंत बहस पर उतर जाते हैं, जिससे विपक्ष तुरंत सावधान हो जाएँ । बाकी, समझदार वकील को हमेशा विपक्ष की भूलें मंज़ूर कराने में दिलचस्पी होती है, ताकि भविष्य में उनका बराबर उपयोग किया जा सके । इसलिए मूल बात को भूलकर कल्पनाओं में उलझने की ज़रूरत नहीं है । अब तो इस बात को लेकर भी जागृत होने की आवश्यकता है कि विपक्ष के वकीलों को अदालत में अपने ही हाथों अपने ही विरोधी बयान दे दिए गए हैं । भविष्य में विपक्ष कभी भी इन बयानों का उपयोग हमारे खिलाफ कर सकता है । ऐसा हो उसके पहले ही उसे रोकने के लिए हमारे पक्ष की भूलें सुधरवा लेनी चाहिए ।