Vahivatdaar jab malikiyat ka dawa kare | Mahasattvashali – 137

संघ या तीर्थों के वहीवट में जहाँ भी आरंभ-समारंभ, हिंसा की प्रवृति अनिवार्य हो, वहाँ श्रावकों को involve करना जरूरी है ।

लेकिन वहीवट सोंपने से वहीवटदार संघ या तीर्थों के मालिक नहीं बन सकते !!

Company Manager कभी Company के मालिक होने का दावा करे तो क्या होगा ??

इसी तरह शासन के संचालन, वहीवट में जहाँ भी जीवहिंसा, आरंभ–समारंभ का scope आता है, वहाँ वहीवट धर्मात्मा श्रावक करते हैं, धर्मगुरुओं की निष्पाप जीवन शैली के कारण मर्यादा होती है !!

पर वहीवटदार श्रावक जब मालिकीयत का दावा करने लगे तो कैसे स्वीकार कर सकते है !!

– प. पू. गच्छाधिपति आचार्य श्रीमद्विजय
युगभूषणसूरिजी महाराजा ।
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Let’s #ReclaimRanakpur
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As the first step,
Click on the above link to send email to the Rajasthan government and concerned authorities, add your name and contact number at the bottom.
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