वैसे तो हरेक धर्म में ‘तीर्थ’ शब्द का प्रयोग देखने मिलता है… लेकिन एक research scholar ने कहा कि तीर्थ शब्द का प्रयोग सबसे पहले करनेवाला, तीर्थ का महत्त्व स्थापित करके उसे प्रभावकता से विश्व में फैलानेवाला एक जैनधर्म ही है..!! इस बात का सबसे बड़ा सबूत यही है कि जैनधर्म में परमेश्वर को तीर्थंकर कहा जाता है… तीर्थंकर यानि जो तीर्थ का निर्माण करते हैं, जो तीर्थ के सर्जक हैं ..!!
– प. पू. गच्छाधिपति आचार्य श्रीमद्विजय
युगभूषणसूरिजी महाराजा