Shrimanto Ke Prati Itni Khushamat ? | Mahasattvashali – 68

श्रीमंतों के प्रति इतनी खुशामत?? जो तीर्थ को बेचकर आएं, तीर्थ की पवित्रता को धक्का लगाएं, तीर्थों में गैर धार्मिक प्रवृत्तियां चलने दें, अनधिकृत निर्णय लें या गलत समझोता कर लें… फिर भी एक शब्द बोलने की हिम्मत नहीं..?? और कोइ सबूतों के साथ सच्ची बात करे, सदियों से हो रहे विश्वासघात का काला इतिहास प्रगट करे, तो भी सुनने की तैयरी नहीं..?? क्या जैन होकर आपमें शासन के प्रति आपनेपन की जरासी भी भावना नहीं रही है??
– प. पू. गच्छाधिपति आचार्य श्रीमद्विजय
युगभूषणसूरिजी महाराजा