जिनशासन की गुणवत्ता को जितना अधिक समझेंगे, उतना ही शासन के प्रति प्रेम बढ़ेगा…
जिस चीज़ से हमें प्रेम, रस, और रुचि हो, उसका अवमूल्यन होते हुए हम नहीं देख सकते..!!
जितना शासनराग बढ़ेगा, उतना ही आप शासन की हीलना, अपभ्राजना से दूर रहेंगे…
भले ही हमसे शासन की प्रभावना, उद्योत न हो सके, लेकिन शासन का अवमूल्यन होते हुए हम कैसे देख सकते हैं..??
– प. पू. गच्छाधिपति आचार्य श्रीमद्विजय
युगभूषणसूरिजी महाराजा ।
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