मिथ्यात्व एवं मोहग्रस्त पामर जीवों को आत्मिक सुख की ओर आगे बढ़ना हो… तो उन्हें तीर्थस्वरूप आलंबन की जरूरत अवश्य पड़ेगी..!! जो आत्मा विशिष्ट अध्यात्म से पूतपावन बने हों, उन्हें भावतीर्थ कहा जाता है…और ऐसे आत्माओं के विशुध्ध भावों से पवित्र बनी भूमि को द्रव्यतीर्थ कहा जाता है… इन तीर्थों के आलंबन से ही प्राय: सभी जीव इस संसार सागर से पार उतरते हैं..!!
– प. पू. गच्छाधिपति श्रीमद्विजय युगभूषणसूरिजी महाराजा