परापूर्व से शिखरजी, शत्रुंजय आदि महातीर्थ श्वेतांबर जैन संघ की मालिकी के थे..!! इन तीर्थों पर सुबा, सामंत या उनके सीपाहीयों को भी प्रवेश करना हो, तो जैनसंघ की #Permission लेनी पड़ती थी । यानि मात्र मालिकीयत नहीं, बल्कि वहाँ पर हुकुमत भी जैनसंघ की थी..!! कहीं पर भी राज्य का Interference Allowed नहीं था..!! क्योंकि धर्मसत्ता राज्यसत्ता से Superior Sovereign #Power है..!! यह बात मात्र आर्य धर्म ही नहीं, अनार्य धर्म भी मान्य करते हैं..!! – प. पू. गच्छाधिपति आचार्य श्रीमद्विजय युगभूषणसूरिजी महाराजा । . . . #SaveJainTirths #Antrikshji #SaveShikharji #SaveGiriraj #Shatrunjay #Girnar #Kesariyaji #AbuDelwara #Ranakpur #MuchalaMahavir #Taranga #Jain #Jainism #TirthRaksha #spirituality