आखिर क्यों ? – ६
प्रश्न: पंडित महाराजजी ऐसा कह रहे है कि, ट्रस्टी गण शय्यातर नहीं कहलाते, क्या उसका कोई प्रमाण है ?
उत्तर: बहुत सरल और स्पष्ट प्रमाण है |
ट्रस्टी ना तो मालिक है ना तो उपाश्रय निर्माण के लाभार्थी है, तो फिर शय्यातर कैसे हो सकते है ?
हाँ लाभार्थी ही ट्रस्टी हो तो लाभार्थी होने के कारण उनको शय्यातर गिनने का व्यवहार होता है, लेकिन ट्रस्टी होने से किसी को शय्यातर नहीं गिने जाते |
और यदि ट्रस्टी गण ही शय्यातर होते तो महात्माओ की गोचरी के लिए उनके घर सामान्य रूप से बंध हो जाने चाहिए | लेकिन ऐसा व्यवहार जैन संघ में कहीं पर भी देखने को मिलता नहीं है | यही दर्शाता है कि ट्रस्टी गण शय्यातर नहीं है |
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