Katibaddh Hona Anivarya | Mahasattvashali – 74

किसी भी materialistic enjoyment रहित, त्यागमय पवित्र जीवन जीने वाले, आजीवन महाव्रत की सुंदर आराधना जिनवचन के अनुसार करने वाले आराधक जीव इस कलिकाल में दुर्लभ हैंb।

और जिनवचन को समर्पित होकर शासन की वफादारी से शासन की धुरा, शुद्ध धर्म का मार्ग वहन करने वाले तो अति अति दुर्लभ होते हैं ।

इस हुंडा अवसर्पिणी काल में शासन की व्यवस्था को सुबद्धता से आगे बढ़ानी हो, तो जिनशासन के रागी साधु-साध्वी और श्रावक-श्राविकाओं को कटिबद्ध होना अनिवार्य है ।

इसके बिना मार्ग वहन होना दुष्कर है ।

– प. पू. गच्छाधिपति आचार्य श्रीमद्विजय
युगभूषणसूरिजी महाराजा ।
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