आज वडील आचार्य भी ट्रस्टीयों को मान-सम्मान न दें, तो संघों में विचरण नहीं कर पाएंगे!! ट्रस्टीयों को पता है कि जैनसाधु की सबसे बडी परवशता या weakness क्या है?? उन्हें सामान्यतया एक स्थान पर आश्रम बनाकर रहने की भगवान की आज्ञा नहीं है, इसलिए विचरण करना अनिवार्य है। और विचरण करने के लिए जो धर्मस्थान हैं, वो ट्रस्टीयों के कब्जे में हैं!! ट्रस्टी जब महात्माओं को नहीं आने देंगे, तो साधुओं को स्थिरवास करने की नौबत आएगी!!
– प. पू. गच्छाधिपति आचार्य श्रीमद्विजय
युगभूषणसूरिजी महाराजा
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