आप जिनालय या धर्मस्थान में धर्म करने आते हैं, लेकिन उनके साथ अपनेपन का संबंध आपका छूट गया है !
यदि तीर्थरक्षा के अवसर पर भी चैन की नींद आप ले सकते हैं, तो ये आपकी स्वार्थी मानोवृत्ति का सूचक है।
ऐसी मानोवृत्ति वाले कभी सच्चे दिलसे तीर्थंकारों की उपासना नहीं कर पाएंगे।
ऐसा अनमोल शासन पाने के बाद भी शासन का राग, शासन की भक्ति हृदय में नहीं पनपी, तो हमें प्राप्त हुआ जिनशासन फलदायी कैसे हो पाएगा ?
- प. पू. गच्छाधिपति आचार्य श्रीमद्विजय
युगभूषणसूरिजी महाराजा ।
.
.
.
.
.