Sha Mate Series (Hindi) Question – 16

प्रश्न – 16. पंडित महाराज साहब ने उनके ज्ञापन में पारसी लेखक खान बहादुर M. S. Commissariat का उल्लेख पाँच बार मुस्लिम लेखक के रूप में क्यों किया है ? यह तो कितनी बड़ी भूल है ?

उत्तर – दशकों पहले कुछ अच्छे कार्यों की सराहना के रूप में राज्य की ओर से मुसलमानों को ‘खान बहादुर’ खिताब दिया जाता था । फिर अंग्रेजों ने इस पद्धति में बदलाव लाकर गैर-हिन्दुओं को खान बहादुर खिताब देना शुरू किया । फिर भी ‘खान बहादुर’ खिताब वाले व्यक्तियों की सूची में 90% लोग मुसलमान ही है । इसलिए M. S. Commissariat को मुसलमान समझने की भूल हुई है।

इसके अलावा जजमेंट में जिस पुस्तक का उल्लेख किया गया है उसके ज़रूरी अंशों की जांच करने में उस पुस्तक की प्रस्तावना पढ़ने की तो आवश्यकता कहां रहती है ?
लेकिन यहां सवाल यह उठता है कि लेखक मुसलमान नहीं बल्कि पारसी है , जैसे तुच्छ मुद्दे के लिए जो ऊहापोह कर रहे हैं, उन्होंने क्या एफिडेविट आदि कानूनी दस्तावेज़ों की अति गंभीर भूलों के लिए ऊहापोह किया होगा? क्या उन भूलों को सुधारने का सुझाव भी दिया होगा ?

शासनरक्षा या तीर्थरक्षा जैसे गंभीर प्रश्न दबाकर तीर्थरक्षा के लिए सतत पुरुषार्थ करने वाले एक धर्माचार्य की अनाभोग से हुई तकनीकी भूल को बढ़ा-चढ़ाकर पेश करना एक महान सत्कार्य है, ऐसी मान्यता तो इसके पीछे काम नहीं कर रही है ना ?