Prabhu toh hamare upkar hetu padhare the | Mahasattvashali – 251

क्या प्रभु ऋषभदेव शत्रुंजय तीर्थ की यात्रा हेतु या वहाँ पर साधना करने हेतु पूर्व ९९ बार शत्रुंजय पधारे थे..??

ऐसा सोचना भी तीर्थंकरों का degradation है…

प्रभु तो हमारे उपकार हेतु उस भूमि को विशेष पवित्र करने के लिए वहाँ पधारे थे..!!

इसलिए तो यशोविजयजी ने स्तवन में कहा है कि “पूर्व नव्वाणुं वार पधारी, पवित्र कर्युं शुभधाम।“

– प. पू. गच्छाधिपति आचार्य श्रीमद्विजय
युगभूषणसूरिजी महाराजा ।
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