Pavitrata hi Tirtho ka praan | Ranakpur Reel – 33
आपको तीर्थों की असली पहचान ही नहीं..!! जो आत्मसमाधि में जाकर प्रतिष्ठा करते हैं ऐसे
आपको तीर्थों की असली पहचान ही नहीं..!! जो आत्मसमाधि में जाकर प्रतिष्ठा करते हैं ऐसे
वर्तमान में ऐसी भ्रमणाएँ फैलाई जा रही हैं कि तीर्थ की मालिकी जैन संघ की
जैनों की अनमोल विरासत श्री राणकपुर तीर्थ जैनों के दान से बना है..!! पर पेढ़ी
कोई भी वकील, CA या पढ़ा-लिखा समझदार इन Documents को go through करे तो कहेगा
प्रभुवीर की पाटपरंपरा के 50वे पट्टधर तपागच्छाधिपति आचार्य सोमसुंदरसूरिजी महाराजा के पवित्र हाथों से श्री
पेढ़ी की एक सराहनीय बात यह है कि रणकपुर तीर्थ के जीर्णोद्धार के लिये तत्कालीन
दिलसे सच्चा धर्म करना हो, तो देव–गुरु-धर्म का बहुमान हृदय में होना बहुत जरूरी है।
Have you ever seen Jain symbols or idols in non-Jain religious places? But right at
विश्व के सारे धर्मों के अनुयायीओ में रक्षा के लिये कमर कसने में आज जैनों
अरावली पर्वतमालाओं की गोद में निखरे हुए प्राकृतिक वातावरण में निर्मित देवविमानसा राणकपुर तीर्थ… आनेवाले