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क्या आपको मालूम है की सन् १९९७ में पाली ज़िले के कलेक्टर ने सार्वजनिक रुप से आह्वान किया था कि किसी को भी कुंभलगढ़ अभ्यारण्य की सीमा (जिसमे श्री मुछाला महावीर भी समाविष्ट है), के बारे में कोई आपत्ति हो तो प्रशासन से संपर्क करें, लेकिन पेढ़ी ने न तो इसका विरोध किया और ना ही कब्जे का दावा किया।
इसके कारण स्थानिक रहवासियों के अधिकार का निर्णय किया गया लेकिन जैन संघ के लिए कोई भी सकारात्मक आदेश जारी नहीं किया गया?