Ep 4 – Purvajo Ka Kehna Hai

क्या आपको मालुम है?

तीर्थों की मालिकियत श्रावकों की नही हो सकती!

#4 – पूर्वजों का कहना है…
(गुजराती श्रृंखला में से भावानुवादित)

  • पालीताणा स्थित समस्त श्रमणसंघ की और से
    आ. भ. श्री विजयवल्लभसूरिजी म. । आ. भ. श्री कीर्तिसागरसूरिजी म. । आ.भ. श्री विजयमहेंद्रसूरिजी म. । आ. भ. श्री विजयहिमाचलसूरिजी म. । आ. भ. श्री विजयभुवनतिलकसूरिजी म. । आ. भ. श्री चंद्रसागरसूरिजी म.
    वैशाख सुद १० वि. सं. २००७

” … ये श्रमणसंघ मानता हैं की, जैनों की जो जो संस्थाएं, सात क्षेत्र, धर्मस्थान, मंदिर और उपाश्रय आदि हैं वे प्रत्येक अपने अपने अधिकार के हिसाब से श्रमण प्रधान चतुर्विध संघ की मालिकियत के है,

इनके व्यवस्थापक, श्रमण संघ के शास्त्रीय आदेश मुताबिक काम करने वाले सेवा भावी सद्गृहस्थ है।

व्यवस्थापकों को शास्त्र आज्ञा तथा संघ की मर्यादा में बाधक बनें ऐसा कुछ भी करने का अधिकार नही है।
उसी तरह सरकार को भी संघ के अधिकार हटाकर व्यवस्थापकों को ही संस्थाओं के सीधे मालिक मानकर उनके द्वारा अपना अधिकार जमाने की जरूरत नहीं है।

फिर भी व्यवस्थापक अथवा सरकार ऐसा कोई भी अनुचित कदम लें तो उनको ऐसा करने से रोकने के लिए स्वयं के अधिकार अनुसार सक्रिय प्रयत्न करना चाहिए…”

हमारे पूर्वजों द्वारा अनेक अवसरों पर ऐसी हकीकत जारी हुई है, उसके बावजूद यदि पंडित महाराज ‘पेढ़ी सिर्फ व्यवस्थापक है’ ऐसा जाहिर में रखे तो वे शासनके बड़े गुनहगार हो जाए!
कैसा आश्चर्यकारी न्याय!!!

Our ancestors have time and again reprimanded Seth Shri Anandji Kalyanji Pedhi for its innumerable mistakes and wrongdoings committed against the interest of Jin Shaasan.

‘Purvajo Kahe Che’, is a series that reveals these documented facts and historical insights for the benefit and awareness of Shri Chaturvidh Sangh.

PurvajoKaheChe #AnandjiKalyanjiPedhi #Tirthraksha