शास्त्रों का, जिनाज्ञा का गहन चिंतन-मनन कर निश्चितता के साथ उपदेश दे, वह उपदेशक धर्ममार्ग का सच्चा रक्षक है। उनके उपदेश से जितने लोग जिनवचन के रागी बने, जिनवचन को समर्पित हो या शासन की भक्ति वाले बने, शुद्धमार्ग के सच्चे आराधक बने, उनसे मार्ग का वहन होता है। आप शायद शास्त्रों के पारगामी न बन सकें, शासन की रक्षा के लिए प्राण न दे सकें, लेकिन इस शासन की सच्ची परख, पहचान पाकर शासन की वफादारी से सच्चे शासन के रागी बनेंगे, तो भी आपके लिए हितकारी है।
– प. पू. गच्छाधिपति आचार्य श्रीमद्विजय
युगभूषणसूरिजी महाराजा