Democracy में सरकार को जनता की आवाज़ सुननी पड़ती है।
अगर हम जैनियों की आवाज़ सरकार तक पहुँचेगी तो सरकार को जवाब देना ही पड़ेगा..!!
और हमारे पास ज़रूरी सारे ठोस सबूत भी हैं, जिसके बल पर हम अपने तीर्थ के लिए सरकार से बात कर सकें..!!
क्या कुछ श्रीमंतों की शर्म और सत्ता के दबाव में आकर हम अपने अमूल्य तीर्थों को गंवा देंगे..??
- प. पू. गच्छाधिपति आचार्य श्रीमद्विजय
युगभूषणसूरिजी महाराजा ।
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