धर्म के क्षेत्र में धर्म के व्यवहार चलते हैं, संसार के व्यवहार धर्म में लाने से भारी अव्यवस्था हो जाएगी..!!
जिनालय में परमात्मा की पूजा होती है या श्रीमंतों की..??
जिनालय में कोई श्रीमंत, सत्ताधीशों की पूजा करे तो क्या आप उसे सही कहेंगे..??
देव – गुरु – धर्म – शासन से बड़ा कोई नहीं, धर्म के क्षेत्र में धर्म की शिस्त, धर्म के नीति-नियमों को पालकर ही रहना होगा।
धर्म की मर्यादा भंग करने का अधिकार तो किसी धर्मगुरु या बड़े धुरंधर व्यक्ति को भी नहीं है..!!
– प. पू. गच्छाधिपति आचार्य श्रीमद्विजय
युगभूषणसूरिजी महाराजा ।
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