Aap Shasan Premi Hain Ya Pedhi Premi ? | Mahasattvashali – 72

तीर्थों की मालिकी जितनी हमने पिछले सौ–दो सौ सालों में गँवाई है, उतनी पहले कभी नहीं गँवाई !! फिर भी जैन उन श्रीमंत सत्ताधीशों का समर्थन करने के लिए तैयार हैं!! यह बात बडी आश्चर्य जनक और आघात जनक है!! पेढ़ी ने जो तीर्थों के समझौते किये हैं, उससे जैन संघ को भारी नुकसान पहुँचा है, जैनों के कितने अधिकारों पर आक्रमण हुआ है…!! लेकिन आज कोइ सच्चाई को बाहर लाएं, तो पेढ़ी के भक्त पूरे जैन संघ में हल्ला मचा देते हैं!! क्या आप सच्चे शासनप्रेमी हैं?? या पेढ़ी के प्रेमी हैं??
– प. पू. गच्छाधिपति आचार्य श्रीमद्विजय
युगभूषणसूरिजी महाराजा