ता. ४/११/२०२२, शुक्रवार
जाहिर निवेदन
विषय: आनंदजी कल्याणजी पेढ़ी की स्पष्टीकरण सभा।
सेठ आनंदजी कल्याणजी पेढ़ी मुख्य स्पष्टीकरण कर्ता रहेगी, ऐसी प्रथम बार की घोषणा के साथ, राणकपुर और मुछाला महावीर तीर्थ के विषय में स्पष्टीकरण करने हेतु, गत रविवार 30 अक्टूबर के दिन अहमदाबाद में सभा आयोजित हुई थी, जिसमें सकल श्री संघ को आमंत्रित किया गया था। उस सभा में जिस तरह की घटनाएँ हुई है, वह बहुत ही खेदजनक और ऐसी सभाओं की पद्धति के ऊपर प्रश्नार्थ चिह्न लगाने वाली है।
- दोनों तीर्थो के बारे में स्पष्टीकरण देने की जगह, उस सभा में निराधार आक्षेपों के साथ गच्छाधिपति पंडित महाराजजी की भरपूर निंदा की गई ।
- सुनने में भी शर्म आए ऐसे अत्यंत हीन शब्द प्रयोग और अप्रस्तुत घटनाओं के जरिए – सरासर गलत तरीकों से तीर्थरक्षा के ज्योतिर्धर पूज्य गच्छाधिपति गुरुदेवश्री का जाहिर में अपमान किया गया।
- बेबुनियादी बातों से पंडित महाराजजी को शासन के गद्दार के रूप में दिखाया गया । (उपरोक्त सारी बातों के स्पष्टीकरण उपस्थित श्रावकों के पास थे, लेकिन उनको बोलने दिया जाए, ऐसा वातावरण नहीं था ।)
- दोनों तीर्थों के मूलभूत प्रश्नों को जब सभा में पूछा गया, तब प्रश्नकार के साथ तुच्छकार भरा बर्ताव किया गया और उन प्रश्नकार को जवाब सुनने के लिए अयोग्य स्थापित करने का प्रयास किया गया ।
• सभा में पेढ़ी की ओर से उपस्थित कानूनी सलाहकारों ने कानूनी बातों के नाम से बिना सिर – पैर की बातों और अतार्किक बातों को चलाकर संघ में भ्रम फैलाने का प्रयास किया था। खुद के ही विधानों से विरुद्ध बातों का दौर चलाया था, और वे कानूनी सलाहकार unquestionable authority है, ऐसा वातावरण बनाने का प्रयास किया था। - जब मूलभूत प्रश्न की बात चलती थी, तब लोगों को दूसरे – तीसरे प्रश्नों में उलझा दिया जाता था। नतीजन, अंत तक एक भी प्रश्न का तर्कबद्ध और संतोषकारक स्पष्टीकरण दिया नहीं गया। फिर भी, सभा को संतोषकारक खुलासे दिए गए, ऐसा उस सभा के अहेवाल में प्रचारित किया जा रहा है।
- सभा में स्पष्टीकरण के बजाय अप्रस्तुत बातें ज्यादा की गई, उसमें ज्यादा समय बिताया गया ।
- सभा में मूल प्रश्नों का कोई सीधा जवाब दिया नहीं गया था – स्पष्टता नहीं की गई थी,फिर भी ‘अच्छी तरह से स्पष्टता की गई’ ऐसी गलत बाते और अन्य अप्रस्तुत मुद्दों को लेकर ‘सभा निर्णय पारित करती है’ ऐसी घोषणा की गई और उसके द्वारा सभी के उपर गलत निर्णय थोप देने का प्रयास किया गया ।
- दोनों तीर्थों के विषय में पूछने का अवसर कम दिया और उनका वक्तव्य सुनने का आग्रह ज्यादा रखा गया।
- सभा में उपस्थित सारे प्रश्नकारों को अपने प्रश्न प्रस्तुत करने का मौका नहीं दिया, बल्कि अमुक श्रावको को ही पूछने दिया गया, बाकी श्रावको को चुप कर दिया जाता था।
- सभा में, पेढ़ी के तरफदार श्रावकों द्वारा हो हल्ला और आक्रोश का वातावरण बार – बार खड़ा किया जाता था ।
- अंत में, आक्रोश इतना बढ़ गया था कि, पेढ़ी से जुड़े श्रावक ने हाथापाई करनी भी चालू कर दी थी।
इसलिए परम पूज्य गच्छाधिपति गुरुदेव श्री युगभूषणसूरीश्वरजी महाराजा ( पंडित म.सा. ) के आदेश से, पूज्य गुरुदेव का आदेश मानने वाले सभी अनुयायियों को हम विदित करते हैं कि ,
ऐसी मर्यादा रहित सभा में जाकर स्पष्टीकरण तो प्राप्त हुआ नहीं है, बल्कि आक्षेप, अयोग्य दबाव और हिंसा के भोग बनकर अनर्थ ही प्राप्त हुआ है। अतः ऐसी सभाओं में उपस्थित होना उचित नहीं है।
पूज्य गुरुदेव की आज्ञा से
(आ. वि. कल्पभूषणसूरि)