राणकपुर के documents देखने के बाद लगा कि बड़ी अफसोस जनक घटना घटी है।
जैनसंघ के साथ भारी विश्वासघात हुआ है। श्रीसंघ को सही जानकारी से अंधेरे में ही रखा गया है और आप भ्रम में ही रहें, इस तरह गलत प्रचारों के द्वारा अपने कारनामें ढक दिये गये हैं।
लेकिन जैनों को यह जानने के बाद भी कोई परवाह नहीं है।
आज करोड़ों अरबों खर्च करें, तो भी ऐसा विशिष्ट तीर्थ निर्माण करने की हमारी शक्ति नहीं है।
फिर भी इस अमूल्य विरासत की जैनों को ही दरकार नहीं है। प. पू. गच्छाधिपति आचार्य श्रीमद्विजय युगभूषणसूरिजी महाराजा.
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