इस कलिकाल में तीर्थंकर स्थापित जिनशासन की व्यवस्थाओं को जो धक्का पहुँचा है, उसे सुधारने का वक्त आ गया है..!!
इसे मामूली मत समझना, यह तो जिनाज्ञा पालन का अनमोल अवसर है..!!
शासन का हम पर जो ऋण है, उसे चुकाने की ज़रा सी भी तमन्ना हो, तो हमें शासन की प्रभावना और रक्षाधर्म के लिए तैयार हो जाना चाहिए..!!
– प. पू. गच्छाधिपति श्रीमद्विजय युगभूषणसूरिजी महाराजा